आज था "रोज डे" और वो मेरी ओर, एक असली गुलाब बढ़ा रहा था। आज था "रोज डे" और वो मेरी ओर, एक असली गुलाब बढ़ा रहा था।
अब बस हसीन पंखुड़ियाँ है, जिनमें हर रोज़ ओस पड़ती है अब बस हसीन पंखुड़ियाँ है, जिनमें हर रोज़ ओस पड़ती है
ये जो दूरियाँ हैं, हाँ कुछ कुछ-सी मजबूरियां हैं, और भी गहरा करेंगी इश्क़ के रंग को... ये जो दूरियाँ हैं, हाँ कुछ कुछ-सी मजबूरियां हैं, और भी गहरा करेंगी इश्क़ के रंग क...
मेरे सूने आँगन को महकाते हो मेरे सूने आँगन को महकाते हो
ज़िन्दगी एक सफ़र है जीवन से मृत्यु तक ज़िन्दगी एक सफ़र है जीवन से मृत्यु तक
क्या नाराज़ है हमसे जो हमे देखता नहीं क्या नाराज़ है हमसे जो हमे देखता नहीं